खोया गया है बचपन इन पक्की सड़को और गलियो में
वो पेड के नीचे खेलना
वो गिल्ली डंडे के साथ घर से निकलना
वो बरसात के पानी में पत्थर तैराना
वो कच्ची गलियों में गिरना
गिरकर उठकर चलना
वो दोस्तो के साथ पतंग उड़ाना
वो कुल्फी वाले को देखते ही घर वालो से ज़िद करना
हाथ मिलाना, गले मिलना था बहुत जरुरी
तो कभी दोस्तों से कुछ देर के लिए लड़ना और फिर मिलना और साथ खेलना
कभी उनके घर जाना और पुकारना कभी उनका आना याद आता है
पर आज बच्चे व्यस्त है टी बी और मोबाइल में
सभी दोस्त है फेसबुक और टवीटर पर
आपसी मुलाकात भी होती है ऑनलाइन
एक दूसरे के घर आना जाना है मुश्किल
खो गया बचपन बदलतै माहौल और जीवन की बदलती शैली में
याद आता है बचपन