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Monday, April 9, 2018

आज ज़िंदगी के इस मोड़ पर

आज ज़िंदगी के इस मोड़ पर 
जहां कंधे झुके  जाते है 
जिम्मेदारियो के बोझ से 
दिल चाहता है फिर एक बार 

बच्चा बनने को, बचपन पाने को 
बच्चा जिसको 
ना  कोई फ़िक्र हो, 
ना कोई शर्म हो 
जिए मस्त , करो कुछ भी 
सब दोस्त बराबर 
ना  कोई छोटा , ना  कोई बड़ा 
खेले साथ साथ 
बढ़े  साथ साथ 

शायद दे सन्देश समाज को 
दिल चाहता है फिर एक बार 
बच्चा बनने को, बचपन पाने को 

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