आज ज़िंदगी के इस मोड़ पर
जहां कंधे झुके जाते है
जिम्मेदारियो के बोझ से
दिल चाहता है फिर एक बार
बच्चा बनने को, बचपन पाने को
बच्चा जिसको
ना कोई फ़िक्र हो,
ना कोई शर्म हो
जिए मस्त , करो कुछ भी
सब दोस्त बराबर
ना कोई छोटा , ना कोई बड़ा
खेले साथ साथ
बढ़े साथ साथ
शायद दे सन्देश समाज को
दिल चाहता है फिर एक बार
बच्चा बनने को, बचपन पाने को
जहां कंधे झुके जाते है
जिम्मेदारियो के बोझ से
दिल चाहता है फिर एक बार
बच्चा बनने को, बचपन पाने को
बच्चा जिसको
ना कोई फ़िक्र हो,
ना कोई शर्म हो
जिए मस्त , करो कुछ भी
सब दोस्त बराबर
ना कोई छोटा , ना कोई बड़ा
खेले साथ साथ
बढ़े साथ साथ
शायद दे सन्देश समाज को
दिल चाहता है फिर एक बार
बच्चा बनने को, बचपन पाने को