इच्छा , जिन्दगी और जरुरत
आज जिन्दगी छोटी है
आज जररुते बहुत है
कयोंकि आज इच्छाए बहुत है
आज इच्छा जररूत है
और जररूत जिन्दगी है
इसलिए आज जिन्दगी तेज है
जब नहीं थी जररूत स्कूटर की
तो शरीर दुरुस्त था
जय नहीं थी जरूरत टेलीविज़न की
तो परिवार में मेलजोल था
जब नहीं थी जररूत मोबाइल की
तो आपस में जोड़ था
जब नहीं था बर्गर, पिज़्ज़ा
तब स्वाद बेमिसाल था
जब नहीं था इंटरनेट
तब भी होता था सारा काम
तब जिन्दगी थी बड़ी
परन्तु करते थे शरीर से मेहनत
रेत की तरह हाथ से फिसल जाती है
कयोंकि आज जिन्दगी तेज है
कयोंकि आज इच्छाए बहुत है
आज इच्छा जररूत है
और जररूत जिन्दगी है
आज जिन्दगी छोटी है
आज जररुते बहुत है
कयोंकि आज इच्छाए बहुत है
आज इच्छा जररूत है
और जररूत जिन्दगी है
इसलिए आज जिन्दगी तेज है
जब नहीं थी जररूत स्कूटर की
तो शरीर दुरुस्त था
जय नहीं थी जरूरत टेलीविज़न की
तो परिवार में मेलजोल था
जब नहीं थी जररूत मोबाइल की
तो आपस में जोड़ था
जब नहीं था बर्गर, पिज़्ज़ा
तब स्वाद बेमिसाल था
जब नहीं था इंटरनेट
तब भी होता था सारा काम
तब जिन्दगी थी बड़ी
परन्तु करते थे शरीर से मेहनत
रेत की तरह हाथ से फिसल जाती है
कयोंकि आज जिन्दगी तेज है
कयोंकि आज इच्छाए बहुत है
आज इच्छा जररूत है
और जररूत जिन्दगी है