Today, I read a news that says that individuals with age more than 30 years can not enroll for LLB studies. Bar Council of India (BCI) has asked Ravi Shankar University in Chattisgarh to follow this directive.
If the news item is correct, what a retrogressive step it would be! What an irony!
According to the news item, BCI has further added that the age restriction would be 30 years for general category of the applicants and 35 years for SC ST category. It is so ludicrous that depending upon what caste I was born, the State would decide my fate about my educational achievements in my life! There can not be a more destructive step for the society that this.
Following is the news item that appeared in Adaalat Blog (courtsey Mr. Lokesh):
30 साल से अधिक आयु वाले अब एलएलबी में प्रवेश नहीं ले सकेंगे। बार काउंसिल इंडिया ने छत्तीसगढ़ के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय को एक फरमान जारी कर यह बंदिश लगा दी है। एलएलबी की पढ़ाई के लिए अब तक आयु सीमा की पाबंदी नहीं थी। शैक्षणिक सत्र 2009-10 से इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक पत्र भेजकर प्रवेश में आयु सीमा का सख्ती से पालन करने कहा है। पत्र के मुताबिक सामान्य वर्ग के लिए 30 एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए 35 साल आयु तय की गई है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अन्य कक्षाओं के लिए भी आयु सीमा में संशोधन किया है। पहले बीए एलएलबी में प्रवेश में सामान्य वर्ग के लिए 22 तथा अन्य वर्गों के लिए 25 साल की आयु सीमा निर्धारित थी। अब इसे 20 तथा 22 साल की गई है।
इस फरमान से कानून की पढ़ाई करने वाले सरकारी अधिकारियों के अरमानों पर पानी फिरने की संभावना है। क्योंकि एलएलबी की पढ़ाई के इच्छुक सरकारी अधिकारियों को प्रवेश नहीं मिल पाएगा। दरअसल कई आईएएस अफसर विधि की पढ़ाई करते हैं। कई अफसर आयु सीमा पार करने के बाद विधि की पढ़ाई करते हैं। ऐसे अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद किसी कंपनी, फर्म या सरकार के विधि सलाहकार बनने में भी कामयाब हो जाते हैं। अब तक लगभग सभी कॉलेजों में आयु सीमा की अनदेखी की जाती रही है। सरकारी अधिकारी को भी प्रवेश देने में आयु सीमा को दरकिनार किया जाता रहा है।
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