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Wednesday, October 11, 2017

The Most Daring Commando Mission By Israel

27 जून 1976 को तेल अवीव से पेरिस जा रही एयर फ़्रांस की फ़्लाइट 139 ने एथेंस में रुकने के बाद फिर से उड़ान भरी ही थी कि चार यात्री एकदम से उठे. उनके हाथों में पिस्टल और ग्रेनेड थे.
उन्होंने विमान पर नियंत्रण करने के बाद पायलट को लीबिया के शहर बेनग़ाज़ी चलने का आदेश दिया. इन चार अपहरणकर्ताओं में दो फ़लस्तीनी थे और दो जर्मन.
उस विमान में सफ़र कर रहे जियान हारतुव याद करते हैं कि उन चारों में से एक महिला ब्रिजेत कुलमान ने हैंड ग्रेनेड की पिन निकालकर सारे यात्रियों को धमकाया कि अगर किसी ने भी प्रतिरोध करने की कोशिश की तो वो विमान में धमाका कर देगी.
बेनग़ाज़ी में सात घंटे रुकने और ईंधन लेने के बाद अपहरणकर्ताओं ने पायलट को आदेश दिया कि विमान को युगांडा के एन्तेबे हवाई अड्डे ले जाया जाए.

उस समय युगांडा में तानाशाह इदी अमीन का शासन था. उनकी पूरी सहानुभूति अपहरणकर्ताओं के साथ थी. एन्तेबे हवाई अड्डे पर चार और साथी उनसे आ मिले.
उन्होंने यहूदी बंधकों को अलग कर दिया और दुनिया के अलग अलग देशों की जेलों में रह रहे 54 फ़लस्तीनी कैदियों को रिहा करने की मांग की और धमकी दी कि ऐसा नहीं किया गया तो वे यात्रियों को एक-एक करके मारना शुरू कर देंगे.
एन्तेबे इसराइल से करीब 4000 किलोमीटर दूर था, इसलिए किसी बचाव मिशन के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता था. यात्रियों के संबंधियों ने तेल अवीव में प्रदर्शन करने शुरू कर दिए थे.
बंधक बनाए गए लोगों में से कुछ इसराइली प्रधानमंत्री रबीन के क़रीबी भी थे. उन पर बहुत दबाव था कि बंधकों को हर हालत में छुड़ाया जाए.
'यहूदी बंधकों को अलग किया'
बंधकों में से एक सारा डेविडसन याद करती हैं कि अपहरणकर्ताओं ने बंधकों को दो समूहों में बांट दिया था, ''उन्होंने लोगों के नाम पुकारे और उन्हें दूसरे कमरे में जाने के लिए कहा. थोड़ी देर बाद पता चल गया कि वो सिर्फ यहूदी लोगों के नाम पुकार रहे हैं.''


इस बीच अपहरणकर्ताओं ने 47 ग़ैर यहूदी यात्रियों को रिहा कर दिया. उन्हें एक विशेष विमान से पेरिस ले जाया गया. वहाँ मोसाद के जासूसों ने उनसे बात कर एन्तेबे के बारे में छोटी से छोटी जानकारी जुटाने की कोशिश की.
मोसाद के एक एजेंट ने कीनिया में एक विमान किराए पर लेकर एन्तेबे के ऊपर उड़ान भरकर उसकी बहुत सारी तस्वीरें खींची. दिलचस्प बात यह थी कि एन्तेबे हवाई अड्डे के टर्मिनल को जहाँ बंधकों को रखा गया था, एक इसराइली कंपनी ने बनाया था.
कंपनी ने उस टर्मिनल का नक्शा उपलब्ध कराया और रातों रात इसराइल में एक नकली टर्मिनल खड़ा कर लिया गया ताकि इसराइली कमांडो उस पर हमले का अभ्यास कर सकें.
मिशन के लिए सर्वश्रेष्ठ सैनिक
इसराइली सेना के 200 सर्वश्रेष्ठ सैनिकों को इस मिशन के लिए चुना गया. कमांडो मिशन में सबसे बड़ी अड़चन इस बात की थी कि कहीं एन्तेबे हवाई अड्डे के रनवे की बत्तियाँ रात में बुझा तो नहीं दी जाएंगी और इदी अमीन के सैनिक विमान को उतरने से रोकने के लिए रनवे पर ट्रक तो नहीं खड़ा कर देंगे.
इस बीच इसराइल की सरकार ने संकेत दिया कि वो अपहरणकर्ताओं से बातचीत करने के लिए तैयार है ताकि कमांडोज़ को तैयारी के लिए थोड़ा समय मिल जाए. इदी अमीन के दोस्त समझे जाने वाले पूर्व सैनिक अधिकारी बार लेव को उनसे बात करने के लिए लगाया गया.
उन्होंने अमीन से कई बार फ़ोन पर बात की लेकिन वो बंधको को छुड़ा पाने में असफल रहे. इस बीच इदी अमीन अफ़्रीकी एकता संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुई चले गए जिससे इसराइल को और समय मिल गया.

उस समय जनरल अशोक मेहता भारतीय सेना में लेफ़्टिनेंट कर्नल हुआ करते थे और अमरीका में पोर्ट लैवनवर्थ के कमांड एंड जनरल स्टाफ़ कालेज में प्रशिक्षण ले रहे थे.उड़ते विमान में ईंधन भरा
जनरल अशोक मेहता बताते हैं कि इस पूरे मिशन की सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि 4000 किलोमीटर जाकर 4000 किलोमीटर वापस भी आना था. इसलिए हवा में ही उड़ते विमान से दूसरे विमान में ईधन भरा गया.
ब्रिगेडियर जनरल डैम शॉमरॉन को पूरे मिशन की ज़िम्मेदारी दी गई, जबकि लेफ़्टिनेंट कर्नल योनाथन नेतन्याहू को फ़ील्ड ऑपरेशन का इंचार्ज बनाया गया.
इसराइल के पास तीन विकल्प थे. पहला हमले के लिए विमानों का सहारा लिया जाए. दूसरा नौकाओं से वहाँ पहुंचा जाए और तीसरा कीनिया से सड़क मार्ग से युगांडा में घुसा जाए.
अंतत: तय हुआ कि एन्तेबे पहुंचने के लिए विमानों का इस्तेमाल होगा और युगांडा के सैनिकों को ये आभास दिया जाएगा कि इन विमानों में राष्ट्रपति अमीन विदेश यात्रा से लौट रहे हैं.

4 जुलाई को इसराइल के साइनाइ बेस से चार हरक्यूलिस जहाज़ों ने उड़ान भरी. सिर्फ़ 30 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए उन्होंने लाल सागर पार किया ताकि मिस्र, सूडान और सऊदी अरब के रडार उन्हें न पकड़ पाएं. रास्ते में इसराइली कमांडोज़ ने युगांडा के सैनिकों की वर्दी पहन ली.सिर्फ़ छह मिनट का समय
विमानों के उड़ान भरने के बाद ही प्रधानमंत्री राबीन ने इस मिशन की जानकारी मंत्रिमंडल को दी.
सात घंटे लगातार उड़ने के बाद रात के एक बजे पहला हरक्यूलिस विमान एन्तेबे के ऊपर पहुंचा.
उसके पास लैंड करने और अपहरणकर्ताओं पर काबू पाने के लिए सिर्फ छह मिनट का समय था.
उस समय रनवे की लाइट जल रही थी. लैंड करने से आठ मिनट पहले ही हरक्यूलिस के रैंप खोल दिए गए ताकि कम से कम समय जाया हो.
लैंड करते ही पायलट ने विमान को रनवे के बीचोंबीच रोक लिया ताकि पैराट्रूपर्स के एक दल को नीचे उतारा जा सके और वो रनवे पर पीछे आ रहे विमानों के लिए एमरजेंसी लाइट लगा सकें.
मर्सिडीज़ कार का धोखा
जहाज़ से एक काली मर्सिडीज़ कार उतारी गई. यह उस कार से बहुत मिलती-जुलती थी जिसे राष्ट्रपति अमीन इस्तेमाल किया करते थे.
उसके पीछे कमांडोज़ से भरी हुई दो लैंड रोवर गाड़ियाँ भी उतारी गईं. इन वाहनों ने तेज़ी से टर्मिनल की तरफ बढ़ना शुरू किया.
कमांडोज़ को आदेश थे कि वो तब तक गोली न चलाएं जब तक वो टर्मिनल तक नहीं पहुंच जाते.
इसराइली उम्मीद कर रहे थे कि काली मर्सिडीज़ कार देखकर युगांडा के सैनिक समझेंगे कि इदी अमीन बंधकों से मिलने आए हैं.
लेकिन इसराइलियों को पता नहीं था कि कुछ दिन पहले ही अमीन ने अपनी कार बदल दी थी और अब वो सफेद मर्सिडीज़ का इस्तेमाल कर रहे थे.
यही वजह थी कि टर्मिनल के बाहर खड़े युगांडा के सैनिकों ने अपनी राइफ़लें निकाल लीं. इसराइली कमांडोज़ ने उन्हें साइलेंसर लगी बंदूकों से वहीं उड़ा दिया. उनका भेद खुल चुका था.


गोली चलते ही कमांडर ने आदेश दिया कि वाहनों से उतरकर पैदल ही उस टर्मिनल के भवन पर धावा बोल दिया जाए जहाँ यात्रियों को रखा गया था. कमांडोज़ ने बुल हॉर्न के ज़रिए बंधकों से अंग्रेज़ी और हिब्रू में कहा कि वो इसराइली सैनिक हैं और उन्हें बचाने के लिए आए हैं.
उन्होंने यात्रियों से फ़ौरन लेट जाने के लिए कहा. उन्होंने यात्रियों से हिब्रू में पूछा कि अपहरणकर्ता कहाँ हैं.
यात्रियों ने मुख्य हॉल में खुलने वाले दरवाज़े की तरफ़ इशारा किया. कमांडोज़ हैंड ग्रेनेड फेंकते हुए हॉल में घुसे. इसराइली कमांडोज़ को देखते ही अपहरणकर्ताओं ने गोलियाँ चलाना शुरू कर दिया.
इसराइल का केवल एक सैनिक मारा गया
गोलियों के आदान-प्रदान में सभी अपहरणकर्ता मारे गए. माता-पिता अपने बच्चों को बचाने के लिए उनके ऊपर लेट गए.
तीन बंधक भी गोलियों का निशाना बने. इस बीच दो और इसराइली विमान वहाँ उतर चुके थे. उनमें भी इसराइली सैनिक थे.
चौथा विमान पूरी तरह से खाली था ताकि उसमें बचाए गए बंधकों को ले जाया जा सके.
एन्तेबे पर उतरने के बीस मिनटों के भीतर ही बंधकों को लैंडरोवर्स में भरकर खाली विमान में पहुंचाया जाने लगा था. इस बीच युगांडाई सैनिकों ने गोलियाँ चलानी शुरू कर दी थी और पूरे हवाई अड्डे की बत्ती गुल कर दी गई थी.
चलने से पहले हर एक सैनिक की गिनती की गई. इस पूरे अभियान में इसराइल का सिर्फ एक सैनिक मारा गया. कंट्रोल टॉवर के ऊपर से चलाई गई एक गोली लेफ़्टिनेंट कर्नल नेतन्याहू के सीने में लगी और वो वहीं गिर गए.

सैनिकों ने घायल नेतन्याहू को विमान में डाला और एन्तेबे में लैंड करने के 58 मिनट बाद बचाए गए यात्रियों को विमान में लाद वहाँ से टेक आफ़ किया. इससे पहले उन्होंने एन्तेबे पर खड़े 11 मिग जहाज़ों को नष्ट कर दिया ताकि वो उनका पीछा नहीं कर सकें.नेतन्याहू ने वापसी उड़ान के दौरान दम तोड़ दिया. इस मिशन में सभी सात अपहरणकर्ता और 20 युगांडाई सैनिक मारे गए. एक बंदी डोरा ब्लॉक को वापस नहीं लाया जा सका क्योंकि वो हमले के समय कंपाला के मुलागो अस्पताल में थी.
बाद में युगांडा के अटॉर्नी जनरल ने वहाँ के मानवाधिकार आयोग को बताया कि इस मिशन के बाद इदी अमीन के आदेश पर दो सैनिक अफ़सरों ने डोरा ब्लॉक की अस्पताल के पलंग से खींचकर हत्या कर दी थी.
4 जुलाई की सुबह बचाए गए 102 यात्री और इसराइली कमांडो नैरोबी होते हुए तेल अवीव पहुंचे. इस पूरे अभियान को इसराइल के इतिहास का सबसे दुस्साहसी मिशन माना गया.

कमांडो दल के सदस्य लेफ़्टिनेंट कर्नल मोर याद करते हैं, ''जब हमने बेन गुरियों हवाई अड्डे पर लैंड किया तो इसराइल-वासियों का अथाह सागर उनके सम्मान में खड़ा था. स्वयं इसराइल के प्रधानमंत्री राबीन और मंत्रिमंडल के सभी सदस्य उनके स्वागत के लिए वहाँ पहुंचे हुए थे.''

जनरल अशोक मेहता याद करते हैं कि प्रधानमंत्री राबीन ने जब विपक्ष के नेता मेनाखिम बेगिन को बधाई और खुशखबरी देने के लिए बुलवाया तो बेगिन ने कहा, ''मैं शराब नहीं पीता, इसलिए मैं चाय पीकर इसे सेलेब्रेट करूंगा. राबीन ने उन्हे सिंगल मॉल्ट शराब सर्व की और कहा कि समझ लीजिए आप रंगीन चाय पी रहे हैं. बेगिन ने कहा कि आज के दिन मैं कुछ भी पी सकता हूँ. ये इसराइल के इतिहास का सबसे बड़ा दिन था. इस तरह का दु:साहसी अभियान न तो पहले सफल हुआ था और न शायद कभी होगा.''

Happy birthday to Sh. Amitabh Bachan Ji

Wish the Super Hero my childhood, teenage and all time my superhero


SH. AMITABH BACHAN JI


HAPPY BIRTHDAY TO YOU

MANY MANY MANY CONGRATULATIONS TO YOU




Wednesday, October 4, 2017

Goods & Service Tax (GST)

GST implementation has completed 3 months in India and government is pushing many efforts for smooth functioning of it but traders all over India are protesting against it, may be due to slowdown and problem arising out of money demonetization. The fall down in GDP growth has given a chance to political opponents to speak against GST. On the part of government the failure of GST Website, technical issues, other issues had created a situation of harassment for GSTIN holders. The HSN code wise details, stock details, bill wise details for retailers and small shop keepers is really a big problem as they have to invest too much time in record generation, maintenance and keeping.

I think the government must push some computer and IT experts to solve down the issues faced by taxpayers in filing of GST returns and number of returns which needs to be filed every month should be brought down to single return per month. Tax may be collected every month via GSTR-3B and other complete details may be submitted by taxpayers on quarterly basis as it will give time to government to deal with IT issues and ease down the problem of traders. The step will definitely improve GDP and improve businesses. 

Let's see what government do in this regard, kindly post problems faced by you. Also mention ideas  and solutions according to you for GST.