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Wednesday, August 16, 2017

GORKHPUR INCIDENT

गोरखपुर  में हुई मौत  सिर्फ उन बच्चो  की मौत  नहीं है यह मौत  है कल के होनहार  भविष्य की जोकि आने  वाले  समय  में भारत की प्रगति के सहायक बनते परन्तु सभी राजनीतिक और सामाजिक  प्रभावसाली  वयक्ति  व्यस्त  राजनीतिक  रोटियां  सेकने में | पक्ष और विपक्ष की राजनीती में कोई भी उस दर्द को महसूस मह्सूस  नहीं कर पा रहा है जो एक माँ बाप के दिल में है, उन्होने क़्या खोया , उनकी क़्या गलती थी अब जब तक जाँच होगी, मुकदमा  चलेगा , की दोषी कौन  है , उसमे वर्षो  लग जायगे और न्यायपालिका के चक्कर लगाने से डरने वाले असहाय , गरीब और मज्बूर माँ बाप को कभी न्याय मिलेगा या नहीं क्योकि दोषी अभी तक तो जाँच के लिए जरूरी  दस्तावेजों , तथ्यो को पूर्ण रूप रूप से  बदल चुके  होंगे | छोटे  और अप्रभावी कारणों  को बड़ा करके दिखाया जाएगा  परन्तु असली कारण जैसे की लापरवाही ,  भ्रष्टाचार , रिश्वत आदि सबूतों  को मिटा  दिया गया होगा | 
सभी पाठको से अनुरोध है की अपनी तरफ से विचार और सुझाव प्रस्तुत करे की कैसे इस तरह की घटनाओं  की दोबारा भविष्य में होने से रोका जा सकता है | 
कृपया  राजनीती  से प्रेरित कोई भी कमेंट  न करे 
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Tuesday, August 1, 2017

लुप्त होती इंसानियत

आज की तेज दौड़ती ज़िंदगी में मानवता की संवेदना लुप्त होती जा रही है, यह बात मुजा कल रास्ते पर जाते हुए महसूस हुयी जब एक संकरे रास्ते पर माल के वजन से लदी हुई रिक्शा का एक पहिया सड़क के एक गड्डे में फंस गया और तुरंत ही वहाँ जाम लग गया | आसपास  और पिछे जाम में खड़े लोग सभी मिलकर उसको धमका रहे  थे की जल्दी आगे चल और वो बेचारा भी अपनी पूरी ताकत से रिक्शा खींचने की कोशिस  कर रहा था परन्तु रिक्शा में माल ज्यादा  होने के कारण वह असफल था और कोई भी जाम में से या आस पास से उसकी सहायता के लिया आगे नहीं आया, परन्तु जल्दी सभी को ज्यादा  थी | मै  जैसे  ही अपने स्कूटर को स्टैंड पर खड़ा करके आगे मदद के लिया जाने लगा तो पीछे वाले ने चिल्लाना शुरू कर दिया कि स्कूटर बीच में खड़ा मत  करो | इसी बीच वो मज़दूर अपनी कोशिस में सफल हो गया और रास्ते का जाम खुल गया  तब मेरा मन में यह विचार आया की आज सभी कितने शून्य हो गया है | आज का मानव मानवता भूल  चूका  है, मदद, भावना, मानवता जैसे  शब्दो  का आज कोई मोल नहीं है तथा आने वाली पीढी को हम सौगात में कुछ अच्छा दे कैसे  जब हमारे  अंदर ही वो नैतिकता, इंसानियत नहीं बची है | 

सभी पढ़ने वालो से आग्रह है की आप अपनी तरफ से सुझाव प्रस्तुत करे की कैसा हम इंसानियत , मानवता और नैतिक मूल्यों को बचा सकते  है ताकि इन अच्छी  बातो को आने वाली नई पीढी को एक अच्छी विरासत दे सके|