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Thursday, September 1, 2016

याद आता है बचपन

याद आता है बचपन

खोया गया है बचपन इन पक्की सड़को और गलियो में
वो पेड के नीचे खेलना
वो गिल्ली डंडे के साथ घर से निकलना
वो बरसात के पानी में पत्थर तैराना
वो कच्ची गलियों में गिरना
गिरकर  उठकर चलना

वो दोस्तो के साथ पतंग उड़ाना
वो कुल्फी वाले को देखते ही घर वालो से ज़िद करना
हाथ मिलाना, गले मिलना था बहुत जरुरी
तो  कभी दोस्तों से कुछ देर के लिए लड़ना और फिर मिलना और साथ खेलना
कभी उनके घर जाना और पुकारना कभी उनका आना याद आता है


पर आज बच्चे व्यस्त है टी बी और मोबाइल में
सभी दोस्त है फेसबुक और टवीटर पर
आपसी मुलाकात भी होती है ऑनलाइन
एक दूसरे के घर आना जाना है मुश्किल

खो गया बचपन बदलतै माहौल और जीवन की बदलती शैली में
याद आता है बचपन

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